1. चिर विद्रोही
लेखक - विनोद तिवारी
संस्करण - 2000

मूल्य -10/-


बाबा पृथ्‍वीसिंह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के प्रखर हस्ताक्षर हैं। वे 1913-1915 में आरंभ हुए गदर आंदोलन से लेकर नौसैनिक विद्रोह के साक्षी और भागीदार रहे हैं। देश की आजादी के बाद भी वे सामाजिक कार्यों में निरंतर सक्रिय रहे। संदर्भित पुस्तिका में बाबा के साथ एक लंबी बातचीत और उनके बारे में जरूरी सूचनाएं दर्ज हैं।

 

चिर विद्रोही

 
 

2-पुस्तक - चरखा
लेखक - मुंशी प्रभुलाल 'अशहर'
संस्करण - 2000

मूल्‍य - 10/-


राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी ने आज़ादी के आंदोलन और आज़ाद भारत के विकास के लिए देश को चरखे का महामंत्र दिया। मुंशी प्रभुलाल गौड़ ‘अशहर’ ने 1930 में चरखे के दर्शन पर केंद्रित एक लंबी कविता लिखी थी, जिसे अंगरेजी राज में प्रतिबंधित रखा गया था। यह कविता अविकल रूप से इस पुस्तक में प्रकाशित है।

 

चरखा

 
 

3-अग्निवीणा
लेखक - गीतेश शर्मा
संस्‍करण - 1999
मूल्य -25/-


महाकवि काज़ी नज़रुल इस्लाम पर केंद्रित इस पुस्तक में महाकवि की स्वातंत्र्य चेतना, काव्य यात्रा और संघर्ष पर प्रामाणिक जानकारी विन्यस्त की गई है।

 

अग्निवीणा

 
 

4-पुस्तक - ऐसे आये गांधी

लेखक - सुधीर सक्‍सेना
संस्‍सकरण - 1999
मूल्य -100/-


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आज़ादी के आंदोलन के दौरान अनेक बार मध्यप्रदेश की यात्रा पर आये और प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों को संघर्ष के लिए प्रेरणा दी। श्री सुधीर सक्सेना की पुस्तक महात्मा गांधी की मध्यप्रदेश यात्रा एवं स्वतंत्रता आंदोलन में प्रदेश के लोगों की भागीदारी पर रोशनी डालती है।

 

ऐसे आये गॉंधी

 
 

5-पुस्तक -जंगे आज़ादी में भोपाल
लेखक - डॉo नुसरत बानो रूही

संस्‍करण - 1999
मूल्य -60/-



खान शाकिर अली खान भोपाल के प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। आपने करीब 1930 से लेकर 1949 तक की समयावधि में जंगे आज़ादी में भोपाल के हिस्से के बारे में दुर्लभ और प्रामाणिक जानकारी दी है, जिसे डॉo नुसरत बानो ‘रूही’ ने उर्दू में लिपिबद्ध किया और श्री शाहनवाज़ खान ने हिंदी में अनूदित किया है।

 

जंगे आज़ादी में भोपाल

 
 

6-पुस्तक - सरफ़रोशाने वतन

लेखक - शशिभूषण, श्रीराम तिवारी
संस्‍करण - 1999
मूल्‍य -500/-


भारत में ब्रिटिश राज के विरोध में 1857 से ही देशव्यापी विरोध शुरू हो गया। संन्यासी विद्रोह, कॉंग्रेस आंदोलन, क्रांतिकारी मुहिम से लेकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन और 1946-47 के नौ-सैनिक विद्रोह के लगभग 190 वर्ष के दौर में अनगिनत देशप्रेमियों ने अपनी शहादतों से भारत को आज़ाद कराने का प्रयास किया। संदर्भित पुस्तक महान शहीदों के चित्रों के साथ बेमिसाल शहादतों की जानकारी तो देती ही है, साथ ही साथ 190 वर्ष के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देश के कोने-कोने में संचालित विभिन्न आंदोलनों और गतिविधियों की भी जानकारी उपलब्ध कराती है।

 

सरफ़रोशाने वतन

 
 

7-पुस्तक - अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद

लेखक - योगेश शर्मा
संस्‍करण - 1998
मूल्‍य - 30/-


अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद उत्तर भारत में क्रांतिकारी आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार और प्रणेता थे। आपके नेतृत्व में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ने ब्रिटिश हुकूमत के आतंक को तोड़ा और भारतीय जनता की स्वाधीनता की छटपटाहट को एक सुस्पष्ट अभिव्यक्ति दी। संदर्भित पुस्तक अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद के विचार, दर्शन, जीवन और बहुविध सक्रियताओं का एक जरूरी आकलन प्रस्तुत करती है।

 

अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद

 
 

8-पुस्तक - जननायक टंट्‌या भील एंड द पिजेंट एंड ट्रायबल मूवमेंट : सोर्स मटेरियल

लेखक - बाबा भांड
संस्‍करण - 2001
मूल्‍य - 50/-


भारतीय स्वाधीनता संघर्ष के दौरान आदिवासियों, मजदूरों, कामगारों, राजा-रजवाड़ों, सैनिकों, संन्यासियों और सामान्य तथा विशिष्ट्जनो सहित सभी का उल्लेखनीय योगदान रहा है। संदर्भित पुस्तक मे मध्यप्रदेश के भील जननायक टंट्‌या भील की स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सेदारी को लेकर सभी आवश्यक सूचनाएं, तथ्य, दस्तावेज, लोकश्रुति, साहित्य संकलित किया गया है।

 

जननायक टंट्‌या भील एंड द पिजेंट एंड ट्रायबल मूवमेंट : सोर्स मटेरियल

 

9-पुस्तक - जननायक टंट्‌या मामा

लेखक - जगदीश जोशीला
संस्‍करण - 2001
मूल्‍य - 50/-


इस पुस्तक में टंट्‌या भील की बगावती कार्यंवाहियों का रोचक बखान तो है ही, साथ ही साथ उपन्यास को प्रामाणिक और तथ्यपरक बनाये रखने का भी ध्यान रखा गया है।

 

जननायक टंट्रया मामा

 

 

 

10-पुस्तक - जंगे आज़ादी में इंदौर-ग्वालियर

लेखक - डॉ. शिव शर्मा
संस्‍करण - 2001
मूल्‍य - 50/-



भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में देशी रियासतों का भी उल्लेखनीय योगदान रहा है। संदर्भित पुस्तक में इंदौर-ग्वालियर राज्य में स्वाधीनता आंदोलन के आकलन का प्रयास है।

 

जंगे आजादी में इंदौर-ग्‍वालियर

 

 

 

11-पुस्तक - अंग्रेजी राज और प्रतिबंधित हिंदी पत्रिकाएँ
लेखक - डॉo संतोष भदौरिया
संस्करण - 2001

मूल्‍य - 50/-


भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में समाचार-पत्रों ने भारतीय जनता के संघर्ष को सहज अभिव्यक्ति दी और राष्ट्रवादी चेतना के प्रसार और सार्वदेशिक विकास में अहम्‌ भूमिका निभायी। संदर्भित पुस्तक में उपनिवेशवादी अंग्रेजी राज के दौरान समाचार-पत्रों की भूमिका के प्रामाणिक आकलन का प्रयास किया गया है।

 

अंग्रेजी राज और प्रतिबंधित हिंदी

पत्रिकाएँ

 

 

 

12-पुस्तक - आज़ादी के गायक हरबोले
लेखक - डॉo नर्मदाप्रसाद गुप्त
संस्करण - 2001

मूल्‍य - 30/-


1857 में हुए भारतीय स्वाधीनता के महासमर के लोक साक्ष्य के रूप में बुंदेली लोक कवियों द्वारा रचे गये बागी लोकगीतों का चयन इस पुस्तक में संकलित है, ताकि इतिहास लेखन में लोकेतिहास द्रष्टि भी समाहित हो सके। संदर्भित पुस्तक बुंदेलखंड की बहुख्यात लोक परंपरा के माध्यम से स्वाधीनता संग्राम के अनछुए पृष्ठों पर रोशनी डालती है।

 

आजादी के गायक

हरबोले

 

 

 

13-पुस्‍तक - सिपाही बहादुर
लेखक - असदउल्‍ला खान
संस्‍करण - 2001
मूल्‍य - 25/-


जंगे आज़ादी में भोपाल की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 1857 के स्वतंत्रता के महासमर में संभवत: देश की पहली समानांतर सरकार ‘सिपाही बहादुर’ के नाम से भोपाल की अवाम ने कायम की थी। संदर्भित पुस्तक 1857 में भोपाल और आस-पास के इलाकों में हुए स्वाधीनता संघर्ष की महत्वपूर्ण जानकारी देती है।

 

सिपाही बहादुर

 

 

 

14-पुस्‍तक - टंट्रया भील
लेखक - डॉ. पूरन सहगल
संस्‍करण - 2001
मूल्‍य - 20/-


संदर्भित पुस्तक में जननायक टंट्‌या भील के प्रखर क्रांतिकारी योगदान को प्रामाणिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

 

टंट्रया भील

 

 

 

15-पुस्तक - टंट्‌यो भील बड़ौ लरैया
लेखक - डॉo पूरन सहगल
संस्करण - 2001

मूल्‍य - 20/-


संदर्भित पुस्तक में जनयोद्धा टंट्‌या भील की वीरता पर प्रचलित लोकश्रुति, लोकगाथा और लोकगीतों पर आधारित साक्ष्य संकलित कर प्रस्तुति किये गए हैं।

 

टंट्रया भील बडृौ लरैया

 

 

 

16-पुस्तक - गिरिजनों की संघर्ष गाथा
लेखक - हीरालाल शुक्ल
संस्करण - 2004

मूल्‍य - 150/-


क्रूर अंगरेज अपने बारे में यह प्रचारित करते थे कि वे भारत के अपढ़, रूढ़िग्रस्त, पिछड़े, बर्बर और आदिम समाज को सभ्यता की रोशनी से भरने आये और उन्होंने भारतीय समाज को एकता के सूत्र में बांधने की कोशिश की। संदर्भित पुस्तक प्रमाणों व तथ्यों के आधार पर अंगराजों द्वारा खड़े किये गये इस भ्रम को तोड़ती है।

 

गिरिजनों की संघर्ष गाथा

 

 

 

17-पुस्तक - रामगढ़ की रानी अवंतीबाई
लेखक - डॉo सुरेश मिश्र
संस्करण - 2004

मूल्‍य - 30/-


1857 में मध्यप्रदेश के मंडला (अब डिंडोरी) जिले के रामगढ़ की रानी अवंतीबाई की विस्मरणीय भूमिका रही है। उन्होंने आजादी की लड़ाई में महिलाओं की सक्रियता को रेखांकित किया है। हालांकि रानी का क्या हुआ, उनकी मृत्यु कैसे हुई, इसके बारे में कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है, लेकिन प्रस्तुत पुस्तक रानी अवंतीबाई के जीवन पर काफी हद तक प्रकाश डालती है।

 

रामगढृ की रानी अवंतीबाई

 

 

 

18-पुस्तक - तात्या टोपे बुंदेलखंड में
लेखक - डॉo परसुराम विरही
संस्करण - 2006

मूल्‍य - 60/-


रामचंद्र पांडुरंग तात्या टोपे भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के अद्वितीय योद्धा और सेनापति थे। तात्या टोपे को उनकी वीरता, व्यूह रचना, शत्रु को चकमा देने की कुशलता, निर्भीकता आदि के लिए याद किया जाता है। संदर्भित पुस्तक में सेनापति तात्या टोपे के स्वाधीनता संग्राम में योगदान और शहादत के बारे में विवरण मिलता है।

 

तात्या टोपे बुंदेलखंड में

 

 

 

19-पुस्तक - क्रांतिकारी शहीद, चन्‍द्रशेखर आज़ाद
लेखक - श्री कृष्ण सरल
संस्करण - 2006

मूल्‍य - 60/-


संदर्भित पुस्तक अमर शहीद चन्‍द्रशेखर आज़ाद के जीवन की सत्य और ऐतिहासिक घटनाओं को उजागर करती है। साथ ही इसमें क्रांतिकारी आंदोलन के संबंध में व्याप्त भ्रांतियों को भी दूर करने का प्रयास किया गया।

 

क्रांतिकारी शहीद, चंद्रशेखर आजाद

 

 

 

20-पुस्तक - 1842 के विद्रोही, हीरापुर के हिरदेशाह
लेखक - डॉo सुरेश मिश्र
संस्करण - 2007

मूल्‍य - 40/-


1842 का बुंदेला विद्रोह आज़ादी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। दक्षिणी बुंदेलखंड के इस विद्रोह में स्थानीय बुंदेले, लोधी व गोंड ज़मींदारों और जागीरदारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। संदर्भित पुस्तक में 1842 के विद्रोह में हीरापुर के राजा हिरदेशाह की भूमिका का प्रामाणिक विवरण प्रस्तुत किया गया है।

 

1842 के विद्रोही, हीरापुर के हिरदेशाह

 

 

 

21-पुस्तक - विश्‍वामित्र की राष्ट्रीय अवधारणा
लेखक - पंo रमाबल्लभ पाण्डेय
संस्करण - 2007

मूल्‍य - 60/-


इस पुस्तक में महर्षि विश्‍वामित्र को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखा गया है। पुस्तक में संत परंपरा की भावपूर्ण शैली, विद्वतापूर्ण शास्त्रीय व्यास शैली तथा अनुसंधानात्मक शोधकर्ताओं की शैली का समावेश मिलता है।

 

विश्वामित्र की राष्ट्रीय अवधारणा

 

 

 

22-पुस्तक - स्वाधीनता आंदोलन में मध्य प्रांत की महिलाएँ
लेखक - शालिनी सक्सेना
संस्करण - 2001

मूल्‍य - 50/-


भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं का योगदान अद्वितीय रहा है। उन्होंने जिस निर्भीकता और दम्य साहस का परिचय दिया, वह हमारे पास इतिहास की धरोहर है। प्रस्तुत पुस्तक में स्वाधीनता संग्राम में नारी के अप्रतिम शौर्य, साहस व अपूर्व बलिदान पर प्रकाश डाला गया है।

 

स्वाधीनता आंदोलन में मध्य प्रांत की महिलाएँ

 

 

 

23-पुस्तक - जंग-ए-आज़ादी में बुंदेलखंड की देशी रियासतें (1925-1948)
लेखक - डॉo सुधा बैसा (जैन)
संस्करण - 2002

मूल्‍य - 50/-


प्रस्तुत पुस्तक में देशी रियासतों के स्वाधीनता आंदोलन की ही एक कड़ी के रूप में बुंदेलखंड की देशी रियासतों के आंदोलन को जानने, समझने तथा लिपिबद्ध करने का प्रयास किया गया है।

 

जंग-ए-आज़ादी में बुंदेलखंड की देशी रियासतें (1925-1948)

 

 

 

24- जिंदा शहीद
लेखक - परशुराम विरही
संस्करण - 2001
मूल्‍य - 30/-


महान देश भक्त बाबा पृथ्वीसिंह आजाद ने अमर शहीद चन्‍द्रशेखर आज़ाद की इच्छानुसार सोवियत रूस में जाकर समाजवाद और क्रांति की शिक्षा प्राप्त की। प्रस्तुत पुस्तक में उनके असाधरणा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है।

 

ज़िंदा शहीद

 

 

 

25-पुस्तक - मध्यप्रदेश में स्वाधीनता आंदोलन का इतिहास
लेखक - द्वारका प्रसाद मिश्र
संस्करण - 2002

मूल्‍य - 300/-


प्रस्तुत पुस्तक में समस्त भारत की विशाल पृष्ठभूमि में ही मध्यप्रदेश में घटित घटनाओं को महत्व दिया गया है। यह पुस्तक मध्यप्रदेश के स्वाधीनता आंदोलन पर प्रकाश तो डालती है, साथ ही यह संपूर्ण भारत के आंदोलन को भी समेटते चलती है।

 

मध्यप्रदेश में स्वाधीनता आंदोलन का इतिहास

 

 

 

26-पुस्तक - सुभद्रा कुमारी चौहान
लेखक - डॉo मंगला अनुजा
संस्करण - 2004

मूल्‍य - 20/-


सुभद्रा कुमारी चौहान एक कवियत्री होने के साथ-साथ स्वाधीनता संग्राम की सेनानी भी थीं। यह पुस्तक उनके साहित्यिक व स्वाधीनता संघर्ष के जीवन पर प्रकाश डालती है। साथ ही स्वाधीनता आंदोलन में उनके कविता के जरिए नेतृत्व को भी रेखांकित करती है।

 

सुभद्रा कुमारी चौहान

 

 

 

27-पुस्तक - स्वातंत्र्‌य-1857, मंडला के दस्तावेज़
लेखक - डॉo सुरेश मिश्र
संस्करण - 2004

मूल्‍य - 50/-


पुस्तक में मध्यप्रदेश में हुए 1857 के विद्रोह के दौरान मंडला जिले में हुई हलचल के बारे में उपलब्ध दस्तावेज़ों को प्रस्तुत किया गया है। ये दस्तावेज़ अंगरेजी पत्र-व्यवहार के रूप में है। इन्हें मूल रूप में (अंग्रेजी में) यथावत प्रकाशित किया गया है, साथ ही इनके हिन्दी रूप भी प्रस्तुत किये गये हैं। इस पुस्तक से मंडला जिले में हुए विद्रोह की प्रामाणिक जानकारी मिलती है।

 

स्वातंत्र्‌य-1857, मंडला के दस्तावेज़

 

 

 

28-पुस्तक - एक लंगोटी वारो
लेखक - माधव शुक्ल मनोज
संस्करण - 2001

मूल्‍य - 25/-

राष्ट्रपिता महात्मा गॉंधी स्वाधीनता आंदोलन के ऐतिहासिक तथा निर्णायक दौर के अप्रतिम नायक रहे हैं। इस पुस्तक में महात्मा गॉंधी पर केंद्रित बुंदेली गीत हैं, जो चौपालों, मंडलियों व सौवतों में सुनी कविताओं का संकलन है।

 

एक लंगोटी वारो

 

 

 

29-पुस्तक - टंट्‌या भील
लेखक - पूरणलाल गहलोत, शांताराम गुप्ते (अनुवाद : विजय दिंडोरकर)
संस्करण - 2001

मूल्‍य - 25/-


1857 के विद्रोह के बाद के वर्षों में हुए संघर्षों में आदिवासी जननायक टंट्‌या भील ने अंग्रेजों के दमन और अत्याचार के खिलाफ़ लंबे समय तक संघर्ष किया। इस पुस्तक में टंट्‌या भील के जीवन पर केंद्रित एक नाटक ‘टंट्‌या भील’ तथा एक नौटंकी ‘टंट्‌या भील महान’ प्रस्तुत किये गये हैं। यह अंगरेजों के लिए एक चुनौती बन चुके टंट्‌या भील से जुड़े कई ज्ञात-अज्ञात पहलुओं को उजागर करती है।

 

टंट्रया भील

 

 

 

30.पुस्‍तक- तरानये कफ़स
संपादन - क़ष्‍णकांत मालवीय
संस्‍करण - 2004 (नवीन संस्‍करण)
मूल्‍य - 50/-


1922 में आगरा जेल में बंद स्वाधीनता सेनानियों द्वारा ‘मुशायरों’ की शुरुआत की गयी। मुशायरों का यह आयोजन अपने आप में पहला और अनोखा था, जो जेल की चारदीवारी के अंदर कैदियों द्वारा बकायदा हर सप्ताह होता था। इस पुस्तक में उन्ही मुशायरों में पढ़ी गयी शायरी का संकलन है।

 

तरानये कफ़स

 

 

 

31-पुस्तक - बरकतउल्ला भोपाली
लेखक - डॉo श्याम सुंदर सक्सेना
संस्करण - 2004

मूल्‍य - 25/-


भोपाल में जन्मे मौलाना बरकतउल्ला भोपाली स्वाधीनता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय हैं। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के लिए समर्थन व सहयोग जुटाने के लिए उन्होंने कई देशों की यात्रा की और गदर पार्टी से जुड़कर जीवन भर आज़ादी के लिए संघर्ष करते रहे। इस पुस्तक में उनके बारे में आवश्य‍क जानकारी मिलती है।

 

बरकतउल्‍ला भोपाली

 

 

 

32-पुस्तक - स्वतंत्रता संग्राम और संस्कृत पत्रकारिता
लेखक - डॉo हीरालाल शुक्ल
संस्करण - 2006

मूल्‍य - 100/-


संस्कृत भारत की पुरातन भाषा है और इसे अन्य भारतीय भाषाओं का उद्‌गम स्थल माना जाता है। स्वाधीनता आंदोलन में उस दौर के संस्कृत साहित्य का खासा योगदान रहा है। संस्कृत से लिया गया शब्द ‘वंदेमातरम्‌’ तो स्वाधीनता संग्राम का मूल मंत्र था। स्वाधीनता संग्राम और उस दौर की संस्कृत पत्रकारिता की भूमिका को इस पुस्तक में रेखांकित करने का प्रयास किया गया।

 

स्‍वतंत्रता संग्राम और संस्‍कृत पत्रकारिता

 

 

 

33-पुस्‍तक -प्रभा (झंडा अंक)

लेखक - बालकृष्‍ण शर्मा 'नवीन"
संस्‍करण - 2002
मूल्‍य - 50/-


असहयोग आंदोलन के असफल होने के बाद 1923 में स्वाधीनता संग्राम में नई जान फूंकने के प्रयास के तहत झंडा आंदोलन की शुरूआत हुई। पूरे देश में झंडा जत्थों ने स्वाधीनता का झंडा फहराया व गिरफ्‍तारियां दीं। उसी वर्ष प्रभा पत्रिका ने अपना ऐतिहासिक ‘झंडा अंक’ निकाला। संदर्भित पुस्तक ‘झंडा अंक’ का पुनर्प्रकाशन है। इसमें झंडा आंदोलन के जत्थों में शामिल आंदोलनकारियों का सचित्र विवरण मिलता है।

 

प्रभा

 

 

 

34-पुस्‍तक- महाकवि भवभूति

डॉ. भास्‍कराचार्य त्रिपाठी
संस्‍करण - 2006
मूल्‍य - 60/-


संस्कृत के महाकवि भवभूति को आधुनिक कविता का जनक कहा जा सकता है। उन्होंने कालजयी रूपक लिखे हैं। इस पुस्तक में महाकवि के जीवनवृत्त एवं उनकी कृतियों पर व्यापक प्रकाश डाला गया है।

 

महाकवि भवभूति

 

 

 

35-पुस्तक - भर्तृहरि, कविता का पारस पत्थर
अनुरचना - सुधीर रंजन
संस्करण - 2005

मूल्‍य - 60/-


भर्तृहरि संस्कृत भाषा के कालजयी कवि हैं। इस पुस्तक में प्रकाशित कविताएँ उनके शतकत्रयी से चुने गये श्‍लोकों की अनुरचना है।

 

भर्तृहरि, कविता का पारस पत्‍थर

 

 

 

36-पुस्तक- भोजदेव


डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित
संस्‍करण - 2005
मूल्‍य - 50/-


संस्कृत के महाकवियों में भोजदेव भी एक प्रतिष्ठित नाम है। संदर्भित पुस्तक में भोजदेव की ‘समरांगण सूत्रधार’ कृति के श्‍लोकों को हिन्दी में अनुवाद कर पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।

 

भोजदेव

 

 

 

37-पुस्तक - वररुचि
लेखक - भगवतीलाल पुरोहित
संस्‍करण - 2006
मूल्‍य - 40/-


वररुचि विभिन्न विषयक ग्रंथों के रचयिता हैं। भारतीय परंपरा में जिनका उल्लेख मिलता है। भारत के अग्रणी विद्वानों व कवियों में वररुचि का स्मरण किया जाता है। संदर्भित पुस्तक में उनके जीवन से जुड़ी कथाओं व उनकी कृतियों पर चर्चा की गयी है।

 

वररूचि

 

 

 

38-पुस्तक - मध्यप्रदेश में आदिशंकराचार्य
लेखक - हीरालाल शुक्ल
संस्करण - 2002

मूल्‍य - 20/-


प्रस्तुत पुस्तक आदिशंकराचार्य और मध्यप्रदेश के अंत:संबंध पर प्रकाश डालती है। पुस्तक में इस बात का उल्लेख मिलता है कि किस तरह मध्यप्रदेश में अद्वैत सिद्धांत का जन्म हुआ और बाद में यह भारतीय जनता का व्यावहारिक धर्म बन गया।

 

मध्यप्रदेश में आदिशंकराचार्य

 

 

 

39-पुस्तक - आज़ाद कथा
संपादन - श्रीराम तिवारी
संस्करण - 2006

मूल्‍य - 30/-


वर्ष 2006-07 अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद के जन्मशती वर्ष के रूप मनाया गया। इसी अवसर पर स्वराज संस्थान द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक आजाद के जीवन से जुड़ी हुई विभिन्न घटनाओं पर आधारित है। पुस्तक में विभिन्न घटनाओं को शब्दों के साथ-साथ चित्रों से भी समझाने का प्रयास किया गया है।

 

आज़ाद कथा

 

 

 

40-पुस्तक - झांसी की रानी
रचनाकार - सुभद्राकुमारी चौहान
चित्रकार - लक्ष्मण भांड

संस्करण - 2004 नवीन संस्करण
मूल्‍य - 25/-


झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी और उनके जीवन को रेखांकित करती कविता ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’, रचनाकार सुभद्राकुमारी की अमर रचना है। संदर्भित पुस्तक में इस अमरकृति को प्रसिद्ध चित्रकार लक्ष्मण भांड ने चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया है।

 

झॉंसी की रानी

 

 

 

41-पुस्तक - जंग-ए-आज़ादी में जबलपुर
लेखक - डॉo प्रतापभानु राय
संस्करण - 2003

मूल्‍य - 50/-


जबलपुर जिला आज़ादी के लंबे समय तक चलने वाले आंदोलनों का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। संदर्भित पुस्तक में स्वाधीनता आंदोलन में जबलपुर की भूमिका को लिपिबद्ध कर पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास किया गया है। पुस्तक में स्वाधीनता आंदोलन के दौरान जबलपुर से जुड़ी हुई घटनाओं व सेनानियों के विवरण को संकलित किया गया है।

 

जंग-ए-आज्रादी में जबलपुर

 

 

 

42-पुस्‍तक - वराहमिहिर
लेखक - पं़ ईशनारायण जोशी
संस्‍करण - 2004
मूल्‍य - 40/-


ज्योतिर्विज्ञान के पूर्ववर्ती आचार्यों में वरामिहिर का नाम उल्लेखनीय है। उन्होंने संस्कृत में अनेक ग्रंथों की रचना की है। संदर्भित पुस्तक में उनके जीवन से जुड़ी कथाओं और उनकी कृतियों पर व्यापक चर्चा की गयी है।

 

वराहमिहिर

 

 

 

43- पुस्तक - मध्य भारत में विद्रोह
संपादन - बी0एन0 लूणिया
अनुवाद - दिनेश मालवीय
संस्करण - 2004

मूल्‍य - 150/-


भारत के मुक्ति संग्राम में, 1857 से पहले हुए संगठित प्रयासों में मध्यप्रदेश की केंद्रीय भूमिका रही है। संदर्भित पुस्तक में मध्यप्रदेश और स्वाधीनता संग्राम से संबद्ध दस्तावेज़ी उल्लेख हैं। यह पुस्तक बीoएनo लूणिया द्वारा संपादित पुस्तक ‘फेसेज ऑफ फ्रीडम स्ट्रगल इन मध्यभारत, 1857’ का अनूदित रूप है।

 

मध्‍य भारत में विद्रोह

 

 

 

44- चित्रावली - जनयोद्धा (भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अमर आदिवासी रणबॉंकुरे)
संपादन-समन्वय - श्रीराम तिवारी
अनुवाद -दिनेश मालवीय

मूल्‍य - 200/-


भारत की स्वाधीनता संन्यासियों, फकीरों, किसानों, कारीगरों, मजदूरों, गिरिजनों, सैनिकों, छात्रों, शिक्षकों, सामंतों, धनिकों तथा सभी भारतीयों की बेमिसाल कुर्बानियों की बुनियाद पर ही संभव हुई है। इसमें चुआड़, संथाल, चेरो, चाकमा, भील, कोल, रंपा, मुंडा, रामोसी आदि आदिवासी विद्रोहों की एक लंबी श्रंखला शामिल है। लेकिन खेद की बात है कि आदिवासी वीरों के उत्सर्ग के बारे में कम ही जानकारी समाज को हो पायी है। बाबा तिलका मांझी, भीमा नायक, सिद्धो संथाल, अल्लूरी सीताराम राजू, रघुनाथ सिंह मंडलोई, मधुकर शाह, शंकरशाह, राघुनाथशाह, सीताराम कंवर आदि ने स्वयं और वासुदेव बलवंत फड़के, राणा बख्तावर सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे अनेक क्रांतिकारियों ने अपने नेतृत्व में आदिवासी वीरों के संग अप्रतिम साहस, शौर्य और पराक्रम के साथ ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष किया। स्वराज संस्थान द्वारा ऐसे ही आदिवासी तथा आदिवासी क्षेत्र के अमर शहीदों पर केंद्रित चित्रावली जनयोद्धा विनम्र श्रद्धांजलि के रूप में प्रकाशित की गयी है।

 

चित्रावली - जनयोद्धा (भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अमर आदिवासी रणबॉंकुरे)

 

 

 

Powered by: Bit-7 Informatics

 
next